1949 ई. से पूर्व राजस्थान नाम से किसी भौगोलिक इकाई का अस्तित्व नहीं था। ऐसा माना जाता है कि 1800 ई. में सर्वप्रथम जॉर्ज थामस ने इस भू-भाग के लिए राजपूताना शब्द का प्रयोग किया था। इसके बाद 1829 ई. में एनल्स एण्ड एण्टीक्वीटीज ऑफ राजस्थान के लेखक कर्नल जेम्स टॉड ने इस पुस्तक में इस प्रदेश का नाम ‘रायथान या ‘राजस्थान रखा। स्वतंत्रता के बाद जब इस प्रदेश की विभिन्न रियासतों का एकीकरण हुआ तो 30 मार्च, 1949 ई. को सर्वसम्मति से इसका नाम राजस्थान रखा गया।
आंशिकीय रेखाएं
23° 3' N से 30° 12' N (उत्तर अक्षांश)
कुल विस्तार = 7° 9'
देशांतर रेखाएं
69° 30' पूर्वी देशांतर से 78° 17' पूर्वी देशांतर तक
कुल विस्तार = 8° 47'
कुल उत्तर-दक्षिण लम्बाई = 826 किमी
पूर्व-पश्चिम लम्बाई = 869 किमी
पूर्व-पश्चिम व उत्तर-दक्षिण लम्बाई यों में अन्तर = 43 किमी
राजस्थान के पूर्व-पश्चिमी व उत्तर-दक्षिणी बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखाएँ एक-दूसरे को नागौर जिले में काटती हैं।
तथा इस दृष्टि से राजस्थान का मध्यवर्ती बिन्दु लम्पोलाई गाँव है। तथा उपग्रह चित्र (सैटेलाइट) के अनुसार मध्यवर्ती बिन्दु गगराना गाँव है।
सबसे उत्तरी बिन्दु – कोणा गाँव (गंगानगर)
सबसे दक्षिणी बिन्दु – बोर कुळा गाँव (बांसवाड़ा)
सबसे पूर्वी बिन्दु – सिलाण / सिलावर (धौलपुर)
सबसे पश्चिमी बिन्दु – कटरा गाँव (जैसलमेर)
कर्क रेखा (23° 30′ N) दक्षिणी राजस्थान में बांसवाड़ा जिले से होकर गुजरती है तथा डूंगरपुर जिले की दक्षिणी सीमा को स्पर्श करती है।
राजस्थान में सूर्य की सर्वाधिक सीधी किरणें बांसवाड़ा जिले में पड़ती हैं तथा सर्वाधिक तिरछी किरणें गंगानगर जिले में पड़ती हैं।